Diwali Puja Mantra Shloka in Hindi & Sanskrit
दिवाली लक्ष्मी गणेश पूजन के मंत्र और श्लोक हिन्दी और संस्कृत मे
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दिवाली पुजा के लिए मंत्र और श्लोक हिन्दी और संस्कृत मे
Diwali Puja Mantra Shlok Hindi Sanskrit
इस साल दिवाली 4 नवंबर के दिन है, माना जाता है कि दीपावली पूजन विधि-विधान से किया जाना चाहिए। जिससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है, और अपना आशीर्वाद देती है , तो चलिये अब Diwali Puja Mantra Shlok Hindi Sanskrit – दिवाली पुजा के लिए मंत्र और श्लोक हिन्दी और संस्कृत मे जानते है।
दिवाली पूजा विधि
Diwali Puja Vidhi
Diwali Puja Mantra Shloka Hindi Sanskrit
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता महालक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें –
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा । य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।
अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए यह मंत्र बोलें –
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता । त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।
पृथ्वियै नम: आधारशक्तये नम: ।।
यह मंत्र बोलते हुए आचमन करें –
ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम:।
मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए यह मंत्र पढ़ें –
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्वापिता हेम-कुम्भैः,सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
मां लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए यह मंत्र पढ़ें –
आगच्छ देव-देवेशि! तेजोमयि महा-लक्ष्मी। क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते।। श्रीलक्ष्मी देवीं आवाह्यामि।।
फूल चढ़ाएं –
नाना रत्न समायुक्तं, कार्त स्वर विभूषितम्।
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्यर्थं प्रति-गह्यताम्।।
श्रीलक्ष्मी-देव्यै आसनार्थे पंच-पुष्पाणि समर्पयामि।।
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्मी ! नमोsस्तुते।।
श्रीलक्ष्मी-देव्यै पाद्यं नम:नमस्ते देव-देवेशि ! नमस्ते कमल-धारिणि!
नमस्ते श्री महालक्ष्मी, धनदा देवी ! अर्घ्यं गृहाण।
गंध-पुष्पाक्षतैर्युक्तं, फल-द्रव्य-समन्वितम्।
गृहाण तोयमर्घ्यर्थं, परमेश्वरि वत्सले।।
श्रीलक्ष्मी देव्यै अर्घ्यं स्वाहा।।
माता महालक्ष्मी को दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण से स्नान करवाते हुए पढ़ें –
गंगासरस्वतीरेवापयोष्णीनर्मदाजलै:। स्नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्व मे।। आदित्यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोsथ बिल्व:। तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्मी:।। श्रीलक्ष्मी देव्यै जलस्नानं समर्पयामि।।
वस्त्र के रूप में कलावा चढ़ाते हुए पढ़ें –
दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम्। दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके।।
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह। प्रादुर्भूतो सुराष्ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे।।
।।श्रीलक्ष्मी देव्यै वस्त्रं समर्पयामि।।
इस मंत्र को पढ़ते हुए माता को गहने अर्पित करें –
रत्नकंकड़ वैदूर्यमुक्ताहारयुतानि च।
सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरुष्व मे।।
क्षुप्तिपपासामालां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात्।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै आभूषणानि समर्पयामि ।।
सिंदूर –
ॐ सिन्दुरम् रक्तवर्णश्च सिन्दूरतिलकाप्रिये । भक्त्या दत्तं मया देवि सिन्दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै सिन्दूरम् समर्पयामि।।
कुमकुम –
ॐ कुमकुम कामदं दिव्यं कुमकुम कामरूपिणम् । अखंडकामसौभाग्यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।। श्रीलक्ष्मी देव्यै कुमकुम समर्पयामि।।
चावल –
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुंकमाक्ता: सुशोभिता: । मया निवेदिता भक्तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अक्षतान् समर्पयामि।।
गंध –
श्री खंड चंदन दिव्यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।विलेपनं महालक्ष्मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै चंदनं समर्पयामि।।
फूल –
यथाप्राप्तऋतुपुष्पै:, विल्वतुलसीदलैश्च ।पूजयामि महालक्ष्मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै पुष्पं समर्पयामि।।
क्षमा-प्रार्थना करें
पूजा पूर्ण होने के बाद मां से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें। उन्हें कहें-
मां न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।। जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
लक्ष्मीजी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
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Jai Maa Laxmi –
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्वापिता हेम-कुम्भैः,सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
Thanks Raghav Jha, aapko bhi happy Diwali. Aise hi diwalishare visit karte rahiye.
Bahut hi badhiya diwali Puja Mantra Sir Ji
Thanks Deepak, aapko bhi Happy diwali.